नई दिल्ली, 20 जून 2025: भारतीय रेलवे बोर्ड ने एक महत्वपूर्ण और दूरगामी प्रभाव वाला निर्णय लेते हुए ICF गरीब रथ कोचों को यात्री सेवा से पूरी तरह वापस लेने की घोषणा की है। 19 जून 2025 को जारी एक आधिकारिक पत्र (ई-फाइल नंबर: 3316353) में, रेलवे बोर्ड ने सभी जोनल रेलवे को इन कोचों को तत्काल प्रभाव से यात्री सेवा से हटाने और उनकी मौजूदा स्थिति का विस्तृत मूल्यांकन करने के निर्देश दिए हैं। इन कोचों को मरम्मत, संक्षारण की गंभीरता, और अन्य सुरक्षा संबंधी चिंताओं के आधार पर पुनर्मूल्यांकन, परिवर्तन, या अन्य उपयोग के लिए भेजा जाएगा। यह कदम रेलवे के इतिहास में एक महत्वपूर्ण बदलाव माना जा रहा है, जो यात्री सुविधाओं और सुरक्षा मानकों को बेहतर बनाने की दिशा में उठाया गया है।
निर्णय के पीछे के कारण
इस निर्णय के पीछे कई जटिल कारण हैं, जिनमें रखरखाव और तकनीकी चुनौतियां प्रमुख हैं। जोनल रेलवे ने लंबे समय से ICF गरीब रथ कोचों के रखरखाव में गंभीर समस्याओं की शिकायत की है, जिसमें बिजली और यांत्रिक उप-प्रणालियों की मरम्मत में देरी, निर्धारित MLR (मेजर लोहा रिव्यू) शेड्यूल का समय पर पूरा न होना, और स्पेयर पार्ट्स की खरीद में भारी कठिनाई शामिल है। इन कोचों के लिए ट्रांसफॉर्मर जैसी महत्वपूर्ण सामग्रियों की आपूर्ति सीमित आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भर है, और कई स्वीकृत आपूर्तिकर्ताओं ने इन आइटम्स के उत्पादन को बंद कर दिया है। विशेष रूप से, RMPU (रेलवे माउंटेड पावर यूनिट), जो एक खास डिजाइन का है और जिसके लिए ऑफ-द-शेल्फ आइटम उपलब्ध नहीं हैं, ने इस समस्या को और गंभीर बना दिया है। इन कारकों ने रेलवे के लिए इन कोचों के संचालन को लगातार चुनौतीपूर्ण बनाया।
उत्पादन बंद और नया विकल्प
रेलवे बोर्ड ने इस संदर्भ में बताया कि ICF गरीब रथ कोचों का उत्पादन पहले ही 13 मार्च 2024 को जारी एक पत्र (संदर्भ संख्या: 2024/Chg/26/1) के आधार पर बंद कर दिया गया था। इन कोचों की जगह अब आधुनिक LHB AC इकोनॉमी कोचों को शामिल किया गया है, जो बेहतर तकनीकी मानकों और यात्री सुविधाओं के साथ लैस हैं। जो कोच पहले से चालू थे, उन्हें विभिन्न विशेष ट्रेनों में उपयोग के लिए स्थानांतरित किया जा रहा है, ताकि इनका अधिकतम लाभ उठाया जा सके।
बोर्ड की मंजूरी और आगे की कार्रवाई
यह निर्णय रेलवे बोर्ड (MTRS और MOBD) की विस्तृत चर्चा और मंजूरी के बाद लिया गया है। बोर्ड ने इस बात पर जोर दिया कि जोनल रेलवे को तत्काल प्रभाव से इन कोचों को यात्री सेवा से हटाना होगा और उनकी स्थिति का गहन निरीक्षण करना होगा। इसके बाद, इन कोचों को संभावित रूप से पुनर्निर्माण, मरम्मत, या अन्य उपयोगी कार्यों के लिए तैयार किया जाएगा। सभी जोनल रेलवे को इस संबंध में तत्काल कार्रवाई शुरू करने और PCMEs (प्रिंसिपल चीफ मैकेनिकल इंजीनियर्स) के साथ समन्वय स्थापित करने के लिए कहा गया है ताकि प्रक्रिया सुचारू रूप से चल सके।
यात्री सुरक्षा और भविष्य की दिशा
यह कदम यात्री सुरक्षा और रेलवे की सेवा गुणवत्ता को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस निर्णय से रेलवे को लंबे समय में रखरखाव लागत कम करने और अधिक विश्वसनीय कोचिंग सिस्टम अपनाने में मदद मिलेगी। हालांकि, इस बदलाव से प्रभावित यात्रियों और कर्मचारियों के लिए अनुकूलन की प्रक्रिया चुनौतीपूर्ण हो सकती है, जिसे रेलवे प्रशासन के सामने आने वाले समय में संभालना होगा।
रेलवे बोर्ड के संयुक्त निदेशक (प्राविधिक) प्रज्ज्वल मिश्रा द्वारा हस्ताक्षरित इस पत्र की एक प्रति सभी जोनल रेलवे और संबंधित अधिकारियों को भेजी गई है, ताकि वे इस पर तुरंत ध्यान दें और आवश्यक कदम उठाएं।