अररिया: भारत-नेपाल सीमा पर स्थित जोगबनी रेलवे स्टेशन से दक्षिण भारत के लिए सीधी ट्रेन की मंजूरी रेलवे मंत्रालय ने दे दी है। यह ट्रेन सीमांचल क्षेत्र की सबसे लंबी दूरी की रेल सेवा होगी, जो जोगबनी से तमिलनाडु के ईरोड तक चलेगी। यह उपलब्धि सीमांचल के लिए ऐतिहासिक मानी जा रही है, क्योंकि वर्षों से क्षेत्रवासियों की दक्षिण भारत के लिए सीधी रेल सेवा की मांग थी। अररिया सांसद प्रदीप कुमार सिंह ने इस मुद्दे को लोकसभा में उठाया और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मुलाकात कर इसे पूरा करवाया।
यात्रियों को मिलेगी सुविधा
यह ट्रेन सप्ताह में पांच दिन खगड़िया, बरौनी, हाजीपुर और सोनपुर के रास्ते चलेगी, जबकि दो दिन कटिहार और मालदा के वैकल्पिक मार्ग से परिचालित होगी। इससे न केवल यात्रियों को सुविधा होगी, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में लाखों लोगों को लाभ मिलेगा। सांसद प्रदीप कुमार सिंह ने बताया कि सीमांचल और नेपाल से बड़ी संख्या में लोग दक्षिण भारत की यात्रा करते हैं, लेकिन अब तक कोई सीधी ट्रेन नहीं थी। रेल मंत्री ने इस समस्या के समाधान का आश्वासन दिया था, जिसे अब पूरा किया गया है।
रेल मंत्री का आश्वासन और सांसद की पहल
सांसद प्रदीप कुमार सिंह ने कहा, “यह ट्रेन केवल एक रेल सेवा नहीं, बल्कि सीमांचल और अररिया के विकास की रफ्तार है।” उन्होंने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आभार जताया। सांसद ने बताया कि अररिया में रेल ओवर ब्रिज (आरओबी) और नई ट्रेनों की मांग सहित जनता की हर समस्या को उन्होंने संसद और मंत्रालयों में प्रमुखता से उठाया है। उन्होंने दावा किया कि अररिया जल्द ही रेल हब के रूप में उभरेगा।
नई रेल लाइनों का निर्माण
सांसद ने बताया कि अररिया-गलगलिया और अररिया-सुपौल नई रेल लाइनों का निर्माण जल्द शुरू होगा। इसके अलावा, फारबिसगंज में सुभाष चौक पर रेल ओवर ब्रिज निर्माण की प्रक्रिया भी शीघ्र शुरू होगी। यह ट्रेन विशेष रूप से उन मरीजों के लिए वरदान साबित होगी, जो चेन्नई, हैदराबाद और बेंगलोर जैसे शहरों में इलाज के लिए जाते हैं। साथ ही, युवाओं को उच्च शिक्षा, प्रतियोगी परीक्षाओं और रोजगार के लिए सीधी रेल सुविधा मिलेगी।
व्यवसाय और पर्यटन को बढ़ावा
यह ट्रेन व्यवसाय, कृषि उत्पादों और ट्रांसपोर्ट के लिए मजबूत संपर्क स्थापित करेगी। धार्मिक पर्यटन के लिए रामेश्वरम और तिरुपति बालाजी की यात्रा भी सुलभ होगी। सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, पूर्णिया, कटिहार, अररिया और बेगूसराय जिलों के साथ-साथ नेपाल के यात्रियों को भी इसका लाभ मिलेगा। नेपाल से बड़ी संख्या में लोग उच्च शिक्षा और तीर्थयात्रा के लिए दक्षिण भारत जाते हैं, जो अब तक हावड़ा या पटना के रास्ते यात्रा करने को मजबूर थे।