संवाददाता, मधुबनी: नीतीश कुमार ने 20 नवंबर 2025 को पटना के गांधी मैदान में शपथ ली, जहां उन्होंने 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली। उनके साथ 26 मंत्रियों ने भी शपथ ग्रहण की, जिसमें एक मुस्लिम और तीन महिलाएं शामिल हैं। भाजपा ने अपने कोटे से कई पुराने चेहरों को दरकिनार कर नए नेताओं को मौका दिया। मधुबनी जिले से खजौली विधायक अरुण शंकर प्रसाद को कैबिनेट में शामिल किया गया है, जिन्हें पर्यटन, कला-संस्कृति और युवा मामलों का विभाग सौंपा गया है।
हालांकि, नीतीश मिश्रा को बाहर रखे जाने से स्थानीय स्तर पर हलचल मची हुई है। मधुबनी और झंझारपुर में लोग सवाल उठा रहे हैं कि पूर्व उद्योग मंत्री, जिन्होंने बिहार में निवेश और विकास को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई, उन्हें क्यों नजरअंदाज किया गया। सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स इसे ‘उद्योग-रहित बिहार’ का संकेत बता रहे हैं। अब जदयू ने इस पर अपना पक्ष रखा है।
जदयू का स्पष्टीकरण
मंत्रिमंडल गठन के बाद मीडिया से बातचीत में जदयू जिलाध्यक्ष फूले भंडारी ने मामले की सफाई दी। उन्होंने झंझारपुर विधायक नीतीश मिश्रा और अन्य कुछ नेताओं को मंत्री पद न मिलने पर पार्टी की राय जाहिर की।
भंडारी ने कहा, “किसी क्षेत्र के विधायक का मंत्री बनना स्थानीय विकास के लिए जरूरी है। जदयू भी चाहता था कि झंझारपुर को प्रतिनिधित्व मिले, लेकिन कोटे की सीमाओं के कारण सभी को शामिल नहीं किया जा सका। नीतीश मिश्रा योग्य और लोकप्रिय नेता हैं, लेकिन उनका नाम न आना भाजपा का आंतरिक फैसला है, जिसमें हमारा कोई हस्तक्षेप नहीं।
“सोशल मीडिया की अफवाहों पर नाराजगी
जिलाध्यक्ष ने सोशल मीडिया पर फैल रही भ्रामक पोस्टों पर कड़ा एतराज जताया। उन्होंने कहा कि कुछ लोग बिना तथ्यों के एनडीए की एकता को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं, जो गठबंधन की छवि को नुकसान पहुंचाता है। “ऐसी अफवाहें जनता में भ्रम पैदा करती हैं। हम अपील करते हैं कि सोशल मीडिया पर तथ्य-आधारित और मर्यादित चर्चा हो,” उन्होंने जोड़ा।
रिक्त पदों पर नजर
भंडारी ने बताया कि एनडीए सरकार के मंत्रिमंडल में कुल 36 पद हैं। भाजपा के 15 कोटे में से 14 भर चुके हैं, एक खाली है। जदयू के 15 में से 9 मंत्रियों की घोषणा हो गई है, जबकि 6 पद रिक्त हैं। चिराग पासवान की पार्टी की एक सीट और एक अन्य सीट भी खाली है। उन्होंने उम्मीद जताई कि भविष्य के विस्तार में नीतीश मिश्रा जैसे नेताओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिल सकती है।एनडीए को ‘पांच पांडवों जैसा मजबूत’ बताते हुए भंडारी ने कहा कि भाजपा ने शायद किसी रणनीतिक वजह से फिलहाल उन्हें बाहर रखा है। मधुबनी में नीतीश मिश्रा के समर्थक इस फैसले से नाराज हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि जल्द ही सुधार होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार जैसे राज्य में उद्योग विकास के लिए ऐसे अनुभवी नेताओं की जरूरत है, और यह फैसला राज्य की आर्थिक प्रगति पर असर डाल सकता है।