सुपौल। बिहार के कोसी क्षेत्र में रेल कनेक्टिविटी को लेकर चल रही बहस अब वैशाली सुपरफास्ट एक्सप्रेस (ट्रेन नंबर 12553/12554) के विस्तार पर केंद्रित हो गई है। सुपौल के रेल प्रेमी और स्थानीय लोग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर ललितग्राम स्टेशन से नई दिल्ली तक इस ट्रेन के स्थायी परिचालन की जोरदार मांग कर रहे हैं। वहीं, सहरसा के कुछ निवासियों द्वारा इसका विरोध हो रहा है, जो इसे क्षेत्रीय हितों से जोड़कर देख रहे हैं। यह विवाद पूर्व रेल मंत्री स्वर्गीय ललित नारायण मिश्र के एक अधूरे सपने से जुड़ा हुआ है, जिन्होंने 1973 में इस ट्रेन का उद्घाटन किया था।
ट्रेन का ऐतिहासिक सफर और ललित बाबू का सपना
वैशाली एक्सप्रेस का उद्घाटन 31 अक्टूबर 1973 को समस्तीपुर से नई दिल्ली के बीच पूर्व रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र द्वारा किया गया था। शुरुआत में इसे जयंती जनता एक्सप्रेस के नाम से जाना जाता था, जिसे 26 जनवरी 1984 को वैशाली सुपरफास्ट एक्सप्रेस नाम दिया गया। ललित बाबू के लिए यह ट्रेन मात्र एक सवारी साधन नहीं, बल्कि कोसी क्षेत्र को राष्ट्रीय राजधानी से जोड़ने का माध्यम था। उनका सपना था कि यह ट्रेन उनके पैतृक गांव ललितग्राम (पूर्व नाम बलुआ रोड) से होकर चले, ताकि कोसी का यह सुदूर इलाका देश के अन्य हिस्सों से बेहतर जुड़े। 1971 में ललित नारायण मिश्र ने कोसी क्षेत्र में रेल नेटवर्क का विस्तार किया, जिसमें ललितग्राम से फारबिसगंज तक लाइन बिछाई गई। उनके मरणोपरांत 1975 में इस रेलखंड पर परिचालन शुरू हुआ और स्टेशन का नाम ललितग्राम रखा गया। मीटर गेज से ब्रॉड गेज में रूपांतरण के बावजूद, वैशाली एक्सप्रेस ललितग्राम तक नहीं पहुंच सकी। आज भी यात्री इस ट्रेन में सवार होते ही ललित बाबू की यादें ताजा कर लेते हैं।
वर्तमान स्थिति: स्पेशल परिचालन से स्थायी विस्तार की मांग
पिछले चार महीनों से वैशाली एक्सप्रेस ललितग्राम से सहरसा तक स्पेशल ट्रेन (ट्रेन नंबर 05515) के रूप में चल रही है, जो 16 मई 2025 से प्रभावी हुई। सहरसा से यह नई दिल्ली के लिए नियमित रूप से संचालित होती है। सुपौल के रेल फैन और स्थानीय नेता इसे ललित बाबू के सपने को पूरा करने का अवसर मानते हैं। एक्स पर #Vaishali4Lalitgram अभियान चल रहा है, जहां उपयोगकर्ता रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से अपील कर रहे हैं। एक पोस्ट में लिखा गया, “वैशाली एक्सप्रेस का स्थायी विस्तार ललितग्राम तक हो, ताकि कोसी क्षेत्र के लोग आसानी से दिल्ली पहुंचें।” सुपौल वॉइस जैसे हैंडल ने तर्क दिया कि सहरसा में वाशिंग पिट न होने पर भी ट्रेनें 109 किमी दूर बरौनी में मेंटेनेंस के लिए जाती रहीं, तो ललितग्राम में विरोध क्यों? एक अन्य पोस्ट में कहा गया, “यह विस्तार सुपौल के विकास का प्रतीक है, विरोध क्षेत्रीय भेदभाव दिखाता है।”
सहरसा का विरोध: रखरखाव और क्षेत्रीय हितों का मुद्दा
सहरसा के रेल प्रेमी इसे अपनी लाइफलाइन मानते हैं और विस्तार को रखरखाव की समस्या से जोड़ते हैं। सहरसा जंक्शन अपडेट्स जैसे हैंडल ने एक्स पर पोस्ट किया, “सुपौल पुणे एक्सप्रेस में गंदगी और टोटी गायब होने की घटनाएं विस्तार के बाद बढ़ीं, वैशाली के साथ यही होगा। #NOT_Extend_VaishaliExpress।” उनका कहना है कि ललितग्राम में सुविधाओं की कमी से ट्रेन की सफाई और मेंटेनेंस प्रभावित होगा, जो सहरसा-खगड़िया-बेगूसराय के यात्रियों को नुकसान पहुंचाएगा। एक पोस्ट में आरोप लगाया गया कि विरोध के बीच ट्रेनों में तोड़फोड़ की साजिश रचाई जा रही है।
सांसद के प्रयास और भविष्य की उम्मीदें
सुपौल सांसद दिलेश्वर कामैत ललितग्राम को टर्मिनल स्टेशन बनाने के लिए वाशिंग पिट और अन्य सुविधाओं का विकास करा रहे हैं। उन्होंने संसद में कई बार आवाज उठाई और रेल मंत्री से मुलाकात की। सुपौल के लोग मांग कर रहे हैं कि ललितग्राम को कोसी का बड़ा टर्मिनल बनाकर क्षेत्रीय कनेक्टिविटी मजबूत की जाए, ताकि ललित बाबू का सपना साकार हो। रेल मंत्रालय ने अभी तक स्थायी विस्तार पर फैसला नहीं लिया है, लेकिन एक्स पर चल रही बहस से साफ है कि यह मुद्दा कोसी क्षेत्र के विकास का प्रतीक बन चुका है। विशेषज्ञों का मानना है कि बेहतर सुविधाओं के साथ विस्तार संभव है, जो सभी क्षेत्रों के हित में होगा।